मन जीता जग जीता

 मन जीता जग जीता

मधुरम समय, देहरादून । सिकन्दर का नाम सब जानते हैं । उसने अनेक देशों को जीता । अनेक देशों को लूटा था । एक बार वह कहीं से लौट रहा था । उसने देखा कि एक पेड़ के नीचे बैठा एक फकीर मस्ती से कुछ गा रहा है । उसकी मस्ती को देखकर सिकन्दर ने पूछा तुम कौन हो, फकीर ने कहा मैं दुनिया का बादशाह हूं । सिकन्दर यह सुनकर चकित रह गया । मन ही मन बोला मैंने दुनिया को जीता है । इतनी सल्तनत का मालिक हूं । जिसके पास कुछ नहीं है वह अपने को संसार का मालिक कहता है । उसने फकीर से कहा तुम्हारे पास क्या है जो तुम अपने को संसार का मालिक कहते हो । उसने कहा जिसने अपने मन को जीत लिया उसने जग को जीत लिया । इतना कह कर उसने अपनी तान छेड़ दी । सिकन्दर यह सुनकर अवाक् रह गया । 

‘इन्द्रिय जयी ही सर्वत्र विजय पाता है ।’

लेखक तथा संकलनकर्ता: स्वामी ब्रहमानन्द सरस्वती ‘वेद भिक्षु’ 

रिपोर्ट - अनूप रतूड़ी